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बेडियां

दिल का दर्पण
दिल का दर्पण
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अहसासों में जी कर हमने

लफ़्जों के यह जाल बुने हैं

वक्त अब है जिद कर बैठा

इन तारों पर चलना होगा

दिल से जब भी पूछा हमने

उसने बस यह बात कही है

प्यार की राह में अंगारे हैं

इन तलवों को जलना होगा

तेरे साथ से क्या पाया हमने

कोई पूछे तो क्या बतलायें

खुद की भी है खबर नहीं अब

जाने कब तुझ से मिलना होगा

शह और मात न जानी हमने

जख्म पा कर भी हैं मुस्काये

नाम न आये इन सब में तेरा

इसलिये लबो को सिलना होगा

मोहिन्दर कुमार

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