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हम तुम

दिल का दर्पण
दिल का दर्पण
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मित्रो कविता में शब्दों के विन्यास के साथ एक नया प्रयोग किया है..आप पढ कर बताईयेगा कि प्रयास कहां तक सफ़ल रहा.

हम तुम
रात
खिडकी-कांच, चांद-रोशनी और
एक झिझक सी
कनखी-चितवन, होंठ-कंपन और
एक तपन सी
करवट-सिलवट, मौन-चुभन और
एक उलझन सी
अतीत-अश्रू, भविष्य-अनिश्चित और
एक आशा सी
संदेह-प्रश्न, भय-चिन्तन और
एक किरण सी
चार पहर
भोर
हम तुम

मोहिन्दर कुमार
http://dilkadarpan.blogspot.in

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