दिल का दर्पण
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हैं रिश्तों के पुल सारे जरूरतों की खाईयों पर
है दुआ मेरी कि हर रिश्ता तुम्हें रास आये
खुले इस आसमां नीचे हर रोज डूबता सूरज
है दुआ मेरी कि सितारा तेरा न डूबने पाये
दुनिया बाग फ़ूलों का छुपाये जाल कांटों का
है दुआ मेरी कि तेरी हर तमन्ना बर आये
तलाशे हर कोई जमीं-आसमां अपने हिस्से का
है दुआ मेरी कि मंजिल चल कर तेरे पास आये
हूं मजबूर इसके सिवा कुछ भी दे नहीं सकता
है दुआ मेरी कि हर दुआ मेरी तुझे लग जाये
मोहिन्दर कुमार
http://dilkadarpan.blogspot.com
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