दिल का दर्पण
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रात दिन खुद से पहरों तेरी बातें
हैं मिली प्यार से मुझे ये सौगातें
सुराग मंजिलों का न पता राहों का
ठिकाना वही जहां की थी मुलाकातें
खामोशी शोर पर कितनी भारी है
चांद ने की अंधेरों से रात ये बातें
किस सूरत खिलेगा दिल का चमन
रूठ गई हम से प्यार की बरसातें
जब भी इधर से गुजरो खबर करना
कहेंगे कुछ न, सुनेंगे बस तेरी बातें
मोहिन्दर कुमार
http://dilkadarpan.blogspot.in
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