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बंधी हुई भिक्षा

दिल का दर्पण
दिल का दर्पण
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बीते युग में
लक्ष्मण द्वारा खिंची रेखा के भीतर से
अस्वीकार किया था रावण ने
भिक्षा का लेना
और रेखा से बाहर आकर
सीता ने बंदिनी बन विरह भोगा

आज के युग में
गरीबी की रेखा के नीचे
जीवन यापन हेतु आवश्यक
रोटी, कपडा और छत
के लिये तरसती भीड
बदल देती है मायने
“बंधी हुई भिक्षा” के
जो इससे कम पाते हैं
वह स्वर्ग सिधाते हैं
जो इससे अधिक पाते हैं
अधिकतर वो “रावण” बन जाते हैं

मोहिन्दर कुमार
http://dilkadarpan.blogspot.com

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